सादर सहित
मेरे दोस्तों
इक ख्याल मेरे दिमाग में आया है
आज का नही ये बहुत पुराना साया है
आपके प्यार को तरसता एक रही हूँ
इंसानियत मेरा बढ़िया सरमाया है
किस को याद किस को भूलूं
दिमाग में फितूर यही समाया है
जाने को बड़ा बेकरार है मेरा दिल
'पंकज' को बस इतनी मोह माया है॥
संदीप कुमार कर्ण (पंकज)