[सुधार की जरुरत]
शब्दों का ये तालमेल,
बड़ा अजब है खेल.
नियम कठिन पर रोचक,
हिंदी पाठक होता बोधक.
कवि की कविता छूटी,
कलम की नोक भी टूटी.
करूँ यतन सफल बनू,
तीर सा लेखन मैं करूँ.
महानुभावों का साथ हो,
शीश ईश का हाथ हो.
एक दिन "पंकज" सुधरेगा.
कीच से कमल सा निखरेगा.
*संदीप कुमार (पंकज)
लुधियाना.
SANDEEP KUMAR (PANKAJ) FROM LUDHIANA.
Monday, April 12, 2010
Saturday, April 10, 2010
हज़रत राम जी आओ
"हज़रत राम जी आओ"
समय की पुकार, सुन हे ! करतार.
धर्म में अधर्म का बोलबाला,
कर रहा सकल संसार.
कहें सब मानव हैं एक से,
फिर अधर्म का क्यों विस्तार?
हिन्दू को मारे मुस्लिम,
मुस्लिम को हिन्दू मारे कटार.
सदभावना लोप हुई मन से,
नफरत का करते रहें प्रचार.
भंवर बड़ा ही गहरा है,
मानवता फंसी बीच मझधार.
हज़रत, राम को फिर आना है,
तभी गिरेगी ये नफरती दीवार.
पंडित मुल्ला दोनों गले मिले,
"पंकज" सुखमय बने ये संसार.
*संदीप कुमार (पंकज)
लुधियाना (पंजाब)
समय की पुकार, सुन हे ! करतार.
धर्म में अधर्म का बोलबाला,
कर रहा सकल संसार.
कहें सब मानव हैं एक से,
फिर अधर्म का क्यों विस्तार?
हिन्दू को मारे मुस्लिम,
मुस्लिम को हिन्दू मारे कटार.
सदभावना लोप हुई मन से,
नफरत का करते रहें प्रचार.
भंवर बड़ा ही गहरा है,
मानवता फंसी बीच मझधार.
हज़रत, राम को फिर आना है,
तभी गिरेगी ये नफरती दीवार.
पंडित मुल्ला दोनों गले मिले,
"पंकज" सुखमय बने ये संसार.
*संदीप कुमार (पंकज)
लुधियाना (पंजाब)
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