ਮੇਰੀ ਜਾਨ ਤੇਰੇ ਬਾਝੋਂ
ਹੁਣ ਪਿਯਾ ਤਰਫਦਾ, ਮੇਰੀ ਜਾਨ ਤੇਰੇ ਬਾਝੋਂ.
ਕਰਾਂ ਕਿਦਾਂ ਬਿਯਾਂ, ਮੇਰੀ ਜਾਨ ਤੇਰੇ ਬਾਝੋਂ.
ਭਾਵਨਾਵਾਂ ਦਾ ਸੰਸਾਰ, ਰਿਹਾ ਠਾਠਾਂ ਮਾਰਦਾ.
ਭੁਲਿਯਾ ਹਰ ਕਾਰ, ਮੇਰੀ ਜਾਨ ਤੇਰੇ ਬਾਝੋਂ.
ਇੱਕਲਾ ਕੋਈ ਇੰਸਾਨ, ਜਹਾਂ ਤੇ ਰਾਜ ਨਾ ਕਰੇ.
ਲੱਗੇ ਸਬ ਮੈਨੂੰ ਅੰਜਾਨ, ਮੇਰੀ ਜਾਨ ਤੇਰੇ ਬਾਝੋਂ.
ਕ਼ਲਮ ਦੇ ਅਥਰੂ ਵੀ, ਹੁਣ ਰੋਕਿਯਾਂ ਨਾ ਰੁੱਕਣ.
ਹੋਣ ਕਾਗਜ ਕਾਲੇ, ਮੇਰੀ ਜਾਨ ਤੇਰੇ ਬਾਝੋਂ.
"ਪੰਕਜ" ਖੜਾ ਮਜਬੂਰ, ਤੱਕਦਾ ਰਿਹਾ ਟੁਟਦੇ ਨੂੰ.
ਕਿਸ ਦਾ ਹੈ ਕਸੂਰ, ਮੇਰੀ ਜਾਨ ਤੇਰੇ ਬਾਝੋਂ.
ਸੰਦੀਪ ਕੁਮਾਰ (ਪੰਕਜ)
ਲੁਧਿਆਣਾ (ਪੰਜਾਬ)
SANDEEP KUMAR (PANKAJ) FROM LUDHIANA.
Friday, February 19, 2010
"विवशता समय की"
"विवशता समय की"
जहाँ देखता हूँ,
अनजाना सा डर,
टूट जाती है नींद,
आधी रात में.
ये घुटी घुटी सांस,
दम घोंटू माहौल,
ये चीखते से लोग,
हर बात में.
विषय में लिप्त नेता,
वासना के हेतु नारी,
समय की विवशता,
बैठी हर गात में.
काम नहीं बने,
बिन मुट्ठी गर्म किये,
जनता पड़ी बेसुध,
अधिकारी की लात में.
ईश्वर कहाँ है "पंकज",
देख नज़ारा आर्यव्रत का,
हंस रही है मानवता,
रख हाथ को हाथ में.
संदीप कुमार (पंकज)
लुधियाना.
जहाँ देखता हूँ,
अनजाना सा डर,
टूट जाती है नींद,
आधी रात में.
ये घुटी घुटी सांस,
दम घोंटू माहौल,
ये चीखते से लोग,
हर बात में.
विषय में लिप्त नेता,
वासना के हेतु नारी,
समय की विवशता,
बैठी हर गात में.
काम नहीं बने,
बिन मुट्ठी गर्म किये,
जनता पड़ी बेसुध,
अधिकारी की लात में.
ईश्वर कहाँ है "पंकज",
देख नज़ारा आर्यव्रत का,
हंस रही है मानवता,
रख हाथ को हाथ में.
संदीप कुमार (पंकज)
लुधियाना.
Wednesday, February 10, 2010
आपका साथ
"आपका साथ"
कितना खुश हूँ पा कर साथ।
थाम कर रख लिया आपका हाथ।
दिल की धड़कन अब गा रही।
मीठे सुर में नगमें सुना रही।
जतन के बाद खुश खुशहाल।
मिला ली हैं दिल के साथ ताल।
फूल से बिखरे हुए हैं जीवन में।
आपका मुस्काना उमंग भरे तन मन में।
प्यार आपके ने कितना खुश कर दिया।
सुने जीवन को प्यारी खुशियों से भर दिया.
बाग़ में ज्यूँ खिले गेंदे के बीच गुलाब।
यूँ लगे आप हमें हर वक़्त लाजवाब।
अनायास ही आपसे बातें होने लगीं।
धड़का जिया और नींदें खोने लगीं।
महकता हुआ सा आप खुश्महल हो।
बीच नदिया खिले आप वो कमल हो।
"पंकज" का दिल मजबूर प्यार हाथों।
आओ मिल के निभाएं वचन सातों।
* संदीप कुमार (पंकज)
*लुधियाना (पंजाब)
+91-98141-59141 and +91-95697-11306
कितना खुश हूँ पा कर साथ।
थाम कर रख लिया आपका हाथ।
दिल की धड़कन अब गा रही।
मीठे सुर में नगमें सुना रही।
जतन के बाद खुश खुशहाल।
मिला ली हैं दिल के साथ ताल।
फूल से बिखरे हुए हैं जीवन में।
आपका मुस्काना उमंग भरे तन मन में।
प्यार आपके ने कितना खुश कर दिया।
सुने जीवन को प्यारी खुशियों से भर दिया.
बाग़ में ज्यूँ खिले गेंदे के बीच गुलाब।
यूँ लगे आप हमें हर वक़्त लाजवाब।
अनायास ही आपसे बातें होने लगीं।
धड़का जिया और नींदें खोने लगीं।
महकता हुआ सा आप खुश्महल हो।
बीच नदिया खिले आप वो कमल हो।
"पंकज" का दिल मजबूर प्यार हाथों।
आओ मिल के निभाएं वचन सातों।
* संदीप कुमार (पंकज)
*लुधियाना (पंजाब)
+91-98141-59141 and +91-95697-11306
Wednesday, February 3, 2010
{मानवता की ओर}
{मानवता की ओर}
समस्त शक्ति धार कर, ईश को पुकार कर.
उठा कदम, बढ़ा कदम, तुं शत्रु का संहार कर.
उठे जो डग, गिरे वो पग, बलिष्ठ बन के वार कर.
अचल धरा, वत्सल धरा, तुं भू को भार न्यार कर.
पौरुष बन, ईशजीत बन, कमल की भांति सार कर.
वेद पढ़, कुरान पढ़, अमल का जामा धार कर.
तुं है पवन, तुं छू गगन, भीतरी शक्ति का संचार कर.
ज़हर की काट, तुं है अकाट, आधार भर को तार कर.
बढे जो तुं, थामे हर रु, विश्वाश मन पुकार कर.
विशेष हो, जग से शेष हो, ज़र्रे को तुं पहाड़ कर.
विषमय जो मन, करता जतन, नर शक्ति को संवार कर.
मिटे जो द्वेष, कटे कलेश, तुं मानवता से प्यार कर.
सन्देश दे, प्यारा देश दे, भारत को सर्व धार कर.
कटे कठिन, आये सुखिन, वक़्त की कसौटी पार कर.
"पंकज" बना, कीच से सना, स्वच्छ पुष्प आर कर.
बीच विषमता के, हे मानव! तुं प्यार का प्रचार कर.
* संदीप कुमार कर्ण (पंकज)
* लुधियाना (पंजाब)
* +९१-९८१४१-५९१४१ और +९१-९५६९७-११३०६.
समस्त शक्ति धार कर, ईश को पुकार कर.
उठा कदम, बढ़ा कदम, तुं शत्रु का संहार कर.
उठे जो डग, गिरे वो पग, बलिष्ठ बन के वार कर.
अचल धरा, वत्सल धरा, तुं भू को भार न्यार कर.
पौरुष बन, ईशजीत बन, कमल की भांति सार कर.
वेद पढ़, कुरान पढ़, अमल का जामा धार कर.
तुं है पवन, तुं छू गगन, भीतरी शक्ति का संचार कर.
ज़हर की काट, तुं है अकाट, आधार भर को तार कर.
बढे जो तुं, थामे हर रु, विश्वाश मन पुकार कर.
विशेष हो, जग से शेष हो, ज़र्रे को तुं पहाड़ कर.
विषमय जो मन, करता जतन, नर शक्ति को संवार कर.
मिटे जो द्वेष, कटे कलेश, तुं मानवता से प्यार कर.
सन्देश दे, प्यारा देश दे, भारत को सर्व धार कर.
कटे कठिन, आये सुखिन, वक़्त की कसौटी पार कर.
"पंकज" बना, कीच से सना, स्वच्छ पुष्प आर कर.
बीच विषमता के, हे मानव! तुं प्यार का प्रचार कर.
* संदीप कुमार कर्ण (पंकज)
* लुधियाना (पंजाब)
* +९१-९८१४१-५९१४१ और +९१-९५६९७-११३०६.
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