"नव वर्ष की बधाई"
पुरे विश्व को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामना।
नव वर्ष की शुभ घडी।
नव मंगल का समय लाये।
हर वक़्त आपके साथ ईश्वर जुड़े रहे।
वर्ष २०१० आपके खुशियों में और इजाफा करे।
अति मंगलमय की कल्पना के साथ,
शुभकामनयें।
शुभ आगमन हो २०१० का आपके जीवन में।
संदीप कुमार कर्ण (पंकज)
SANDEEP KUMAR (PANKAJ) FROM LUDHIANA.
Thursday, December 31, 2009
Thursday, December 17, 2009
Mahboob
महबूब
खुदा का नूर हो तुम, बड़ी दिलकश अदाएं।
तुम्हें हरदम देतीं रहें, मेरी चाहत दुआएं।
मगरिब से नहीं हो, मशरिक से ही सही।
महफूज़ हो रहो तुम, चाहें जहाँ से आयें हवाएं।
कद्रदान हूँ रूह का, बड़ा अफ़सोस रहेगा।
तुम मिलो ना दिल से, तो राज़ी कैसे राजायें।
वक़्त का दरिया, बहता मिला सागर में।
नासूर सा जख्म दिया, हाल क्या दूं अब दवाएं।
अधरों पे तेरे हंसी, जो खूब भाती हैं।
चुरा लूं इस कदर इसको, देती रहें सदा दुआएं।
अचम्भा किस बात पे "पंकज", नज़र कमजोर तेरी।
गौर से देख, ना आया महबूब ना उसकी अदाएं।
संदीप कुमार (पंकज)
खुदा का नूर हो तुम, बड़ी दिलकश अदाएं।
तुम्हें हरदम देतीं रहें, मेरी चाहत दुआएं।
मगरिब से नहीं हो, मशरिक से ही सही।
महफूज़ हो रहो तुम, चाहें जहाँ से आयें हवाएं।
कद्रदान हूँ रूह का, बड़ा अफ़सोस रहेगा।
तुम मिलो ना दिल से, तो राज़ी कैसे राजायें।
वक़्त का दरिया, बहता मिला सागर में।
नासूर सा जख्म दिया, हाल क्या दूं अब दवाएं।
अधरों पे तेरे हंसी, जो खूब भाती हैं।
चुरा लूं इस कदर इसको, देती रहें सदा दुआएं।
अचम्भा किस बात पे "पंकज", नज़र कमजोर तेरी।
गौर से देख, ना आया महबूब ना उसकी अदाएं।
संदीप कुमार (पंकज)
Monday, December 14, 2009
नदिया की धारा।
जबसे हुयी है बात,
जीवन में हुआ नया प्रकाश।
अब जीवन साकार लगे,
किसी को होने प्यार लगे।
वक़्त का फरमान है,
यूँ जीवन लगे आसान है।
प्यार की लहर मन पे छाई,
वो लगने लगे अब अपनी परछाई।
मन में आन बसे ज्यूँ ध्रुव तारा,
जीवन की लता हो नदिया की धारा।
उमंग इतनी पहले प्यार की,
उनके किए हुए इज़हार की।
पहले से जीवन ज्यादा खुशहाल,
मन में लिए कई सपने नए पाल।
"पंकज" मजबूर है दिल के हाथ,
मांगता है बस उनका जीवन भर साथ।
संदीप कुमार (पंकज)
जबसे हुयी है बात,
जीवन में हुआ नया प्रकाश।
अब जीवन साकार लगे,
किसी को होने प्यार लगे।
वक़्त का फरमान है,
यूँ जीवन लगे आसान है।
प्यार की लहर मन पे छाई,
वो लगने लगे अब अपनी परछाई।
मन में आन बसे ज्यूँ ध्रुव तारा,
जीवन की लता हो नदिया की धारा।
उमंग इतनी पहले प्यार की,
उनके किए हुए इज़हार की।
पहले से जीवन ज्यादा खुशहाल,
मन में लिए कई सपने नए पाल।
"पंकज" मजबूर है दिल के हाथ,
मांगता है बस उनका जीवन भर साथ।
संदीप कुमार (पंकज)
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