About Me

My photo
Hi, My self Sandeep Kumar from Ludhiana. I am a Tax Adviser & Accountant in a CA Firm (B.A. & Doing M.A. (Hindi). My hobby to write Poems Lyrics and Gazals. Some time I am also writting short Stories & my Safarnama. any body can join here who wana good point of life taking from my Life. I am inviting some more Critics who will me some advise to improve my Blog. Kind for information it is a Private blog. No body can claim here for their Poetry or Critaive work other than me. All things which are posted in this blog are mine own creations. No body can use these post for their personaly use without the permission of me (Sandeep Kumar). If any body takes any things from that without permission that should be ofense of My Rights. I am free to take Legal against them who theft my ideas or Poems. but any body who wana that can say me through a mail or call me at +91-98141-59141: +91-93567-87928: +91-95697-11306. All the best for all My readers and followers. God Bless You.... Your Sandeep Kumar (Pankaj)

SANDEEP KUMAR (PANKAJ) FROM LUDHIANA.

Thursday, December 31, 2009

"नव वर्ष की बधाई"

पुरे विश्व को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामना।
नव वर्ष की शुभ घडी।
नव मंगल का समय लाये।
हर वक़्त आपके साथ ईश्वर जुड़े रहे।
वर्ष २०१० आपके खुशियों में और इजाफा करे।
अति मंगलमय की कल्पना के साथ,
शुभकामनयें।

शुभ आगमन हो २०१० का आपके जीवन में।

संदीप कुमार कर्ण (पंकज)

Thursday, December 17, 2009

Mahboob

महबूब
खुदा का नूर हो तुम, बड़ी दिलकश अदाएं।
तुम्हें हरदम देतीं रहें, मेरी चाहत दुआएं।
मगरिब से नहीं हो, मशरिक से ही सही।
महफूज़ हो रहो तुम, चाहें जहाँ से आयें हवाएं।
कद्रदान हूँ रूह का, बड़ा अफ़सोस रहेगा।
तुम मिलो ना दिल से, तो राज़ी कैसे राजायें।
वक़्त का दरिया, बहता मिला सागर में।
नासूर सा जख्म दिया, हाल क्या दूं अब दवाएं।
अधरों पे तेरे हंसी, जो खूब भाती हैं।
चुरा लूं इस कदर इसको, देती रहें सदा दुआएं।
अचम्भा किस बात पे "पंकज", नज़र कमजोर तेरी।
गौर से देख, ना आया महबूब ना उसकी अदाएं।

संदीप कुमार (पंकज)

Monday, December 14, 2009

नदिया की धारा

जबसे हुयी है बात,
जीवन में हुआ नया प्रकाश।
अब जीवन साकार लगे,
किसी को होने प्यार लगे।
वक़्त का फरमान है,
यूँ जीवन लगे आसान है।
प्यार की लहर मन पे छाई,
वो लगने लगे अब अपनी परछाई।
मन में आन बसे ज्यूँ ध्रुव तारा,
जीवन की लता हो नदिया की धारा।
उमंग इतनी पहले प्यार की,
उनके किए हुए इज़हार की।
पहले से जीवन ज्यादा खुशहाल,
मन में लिए कई सपने नए पाल।
"पंकज" मजबूर है दिल के हाथ,
मांगता है बस उनका जीवन भर साथ।

संदीप कुमार (पंकज)

Saturday, October 31, 2009

jamana hamra hai

"जमाना हमारा हैं"
ये जमाना किसका हैं।
ये जमाना हमारा हैं।
जीवन को भरोसेमंद बनया हमने।
सब तरफ खुशहाली के लिए किए अनेको जतन
ये जमाना हमारा हैं।
हिंद की रक्षा करते हुए थे शहीद जो,
देश को तरक्की की पगडण्डी पर,
विचार को नई दुनिया के विचार के साथ,
मिल हिंद को आगे बढाये जो।
दिल जोर से कहे ,
ये जमाना हमारा हैं।
'पंकज' मन में कई उत्सुकता पाले,
नई दुनिया में रखे कदम धयं से,
मन्त्र फूंक के नव जीवन का,
कहे इक बार फिर से,
ये जमाना हमारा हैं।

संदीप कुमार (पंकज)

Saturday, September 12, 2009

Viswas Chhod Diya Karna

adhar me jivan hamara hai.
kathin dagar pe chalna hamar hai.
vishwas kar sakte nahi kisi pe.
yeh kahna hamar hai.
jivan me vishwas kiya kitno par.
mila dhokha -dokha aur dhoka.
nirash jivan ke "Pankaj" ne.
Viswas karna chhod diya.

Sandeep Kumar (Pankaj)

Wednesday, August 26, 2009

hum

hum se koi khata huyi, ye jante nahi.
hum badhe jivan me, pahchante nahi.
nadan mera dil nikla, jor na koi.
nikle hain jis mor se, gujar maante nahi.
ata hai josh rutbe me, roz karke aajmaishen.
"Pankaj" ka na dosh , jivan chhante nahi.


Sandeep Kumar (Pankaj)

Wednesday, July 22, 2009

Khush Raho

Koi bhi mausam ho par khush raho.
Andaza laga sakte ho to laga lo.
Aadhar nahi ho jab kisi baat.
Jivan ko kinare rakh ke khush raho.
Hum ko andaza tha kamyabi ka.
apana skshamta dikha ke khush raho.
Aaj Pankaj ke dil pe bahut kataren chali.
Phir bhi kahe ki dosto Khush raho.

Sandeep Kumar (Pankaj)

Saturday, July 18, 2009

hua ashiqi

"hua ashiqi"

hua ashiqi ka asar dhire-dhire.
hai badi kharab ye nazar dhire-dhire.
main jalta hua ek koyle ka tukda.
mili hai ye khabar dhire-dhire.
najakat tere husno se bada taklifdeh hai.
lagi ab chot teere jigar dhire-dhire.
karam apana kren ya ho jaye yun hi.
oos baat ka hota hai pasar dhire-dhire.
dilon jaano se chaha tha oose badi vo cheej hai.
nikala ab jakar kasar dhire-dhire.
bada dil fenk chakkar daar majboot ghera hai.
"Pankaj" ki padi uspe nazar dhire-dhire.

Sandeep Kumar Karn (Pankaj)

Wednesday, May 20, 2009

जिन्दगी

क्या ये जिन्दगी है जो हम जी रहे हैं,
क्या इन तकलीफों को हम जिन्दगी कह सकते हैं,
क्या अवसर्प्रस्त लोगो को हम जिन्दा कह सकते हैं,
क्या जिन्दगी का अर्थ सिर्फ़ सांसे लेना भर है,
किसी की नासर्गिक प्रतिभा को दबा देना क्या जीवन है,
जीवन का तो सच्चा मतलब प्यार है।
निस्वार्थ प्यार,
अति स्नेह पूर्वक प्यार,
वहीइन्सान जीवित है जो इस परिभाषा को जन गया है।
आओ दोस्तों "पंकज" के साथ मिलो,
नया जीवन हम सजायेंगे।
प्यार का संसार हम बानाएंगे।

संदीप कुमार कर्ण (पंकज)

Wednesday, April 29, 2009

कुछ कहना चाहता HOON

सादर सहित
मेरे दोस्तों
इक ख्याल मेरे दिमाग में आया है
आज का नही ये बहुत पुराना साया है
आपके प्यार को तरसता एक रही हूँ
इंसानियत मेरा बढ़िया सरमाया है

किस को याद किस को भूलूं
दिमाग में फितूर यही समाया है
जाने को बड़ा बेकरार है मेरा दिल
'पंकज' को बस इतनी मोह माया है॥

संदीप कुमार कर्ण (पंकज)

Friday, February 27, 2009

हम और आप

दोस्तों,
इस संसार में सभी लोगों का एक दूजे से नाता होता है। कभी कभी ये हमें दिखाई देता है परन्तु अक्सर हं सिर्फ़ इसे महसूस ही कर पते है।
जीवन में कई घटनाये ऐसी हो जाती है की हम चाह कर भी विश्वास नही कर पाते की ये क्यों हुईं । जैसे पाकिस्तानी हमारे पूर्व सम्बन्धी हैं।
परन्तु आज कल हमउन पे विश्वास नही दिखा प् रहे हैं। इसी प्रकार हमारा एक दूजे से साथ बनता है।

इस लिए हे दोस्तों हम आओ मिल के एक नई शुरुआत करें, एक बार फ़िर से दुनिया को दिखा दे की एकता में कितनी ताकत होती है। ये सब पर
हमारी और आपकी मिली जुली प्रकिरिया द्वारा ही सम्भव है। आशा है की आप सब मेरी बातों पर गौर करेंगे।

आपका आपना,
संदीप कुमार कर्ण (पंकज)

Friday, February 20, 2009

आज का विचार

दोस्तों आज का विचार आपके सामने प्रस्तुत है।

हम आपने आपको कितना भी समझदार समझते हैं पर दरअसल ये हमारी बड़ी भूल होती है। कोई भी व्यक्ति पुरी तरह समझदार नही होता है।
ये बात तब तक समझ नही आ पातीजब तक कोई नुकसान न हो जाए। परन्तु जब तक ये पता चलता है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। इस लिए दोस्तों हमेशा आपने आप को छोटा ही समझो नही तो नुकसान निश्चित है , अब समय आ गया है की आपनी सही हस्ती पहचाने।

आपका अपना,
संदीप कुमार (पंकज)

Thursday, February 19, 2009

दिल चीज क्या है

दिल एक दर्द भरा समुन्द्र है। इसमे कई राज छुपे हैं। ये बहुत सी बातें अपने में समेटरखता है।
एक दिन की बात है मैं घर जा रहा था , एक लड़की कहती की मुझे घंटा घर छोड़ दे। मैं उसे लेके चल पड़ा।
रस्ते में हमारी कोई खास बात नही हुई। बस एक ही चीज पता चला की वह मुझसे प्यार करती है।
बाकी बाद में।
आपका अपना,
संदीप कुमार कर्ण (पंकज)

Wednesday, February 18, 2009

दिन और रात

हमारे दिन और रात एक सामान नही होते हैं। दोनों में बड़ा फर्क है, दिन को हम जितने कम कर सकते हैं वो रात में नही सम्भव।
दिन को सूर्य की रौशनी हमें इंधन देती है और जिस के कारण हम बढ़ते हैं। रात को चाँद की रौशनी हमें रहत पहुंचती है।
आपका अपना '
संदीप कुमार कर्ण (पंकज)

Tuesday, February 17, 2009

Happy Day

aaj kal din bade achhe hain. koi tension nahi. mausam bhi bada khushgavar hai.
aap logo ka kya hal hai. thandi khatm hone ko hai.

aap sab ka apna
Pankaj Karn

Monday, February 16, 2009

Hello

Dear Firends,
Aap Sab ka swagat hai. main apne naye blog ke jariye aapko kuchh jankariyan deta rahunga.

Aapka apna,
Sandeep Kumar Karn (Pankaj)
Ludhiana