नदिया की धारा।
जबसे हुयी है बात,
जीवन में हुआ नया प्रकाश।
अब जीवन साकार लगे,
किसी को होने प्यार लगे।
वक़्त का फरमान है,
यूँ जीवन लगे आसान है।
प्यार की लहर मन पे छाई,
वो लगने लगे अब अपनी परछाई।
मन में आन बसे ज्यूँ ध्रुव तारा,
जीवन की लता हो नदिया की धारा।
उमंग इतनी पहले प्यार की,
उनके किए हुए इज़हार की।
पहले से जीवन ज्यादा खुशहाल,
मन में लिए कई सपने नए पाल।
"पंकज" मजबूर है दिल के हाथ,
मांगता है बस उनका जीवन भर साथ।
संदीप कुमार (पंकज)
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