"हज़रत राम जी आओ"
समय की पुकार, सुन हे ! करतार.
धर्म में अधर्म का बोलबाला,
कर रहा सकल संसार.
कहें सब मानव हैं एक से,
फिर अधर्म का क्यों विस्तार?
हिन्दू को मारे मुस्लिम,
मुस्लिम को हिन्दू मारे कटार.
सदभावना लोप हुई मन से,
नफरत का करते रहें प्रचार.
भंवर बड़ा ही गहरा है,
मानवता फंसी बीच मझधार.
हज़रत, राम को फिर आना है,
तभी गिरेगी ये नफरती दीवार.
पंडित मुल्ला दोनों गले मिले,
"पंकज" सुखमय बने ये संसार.
*संदीप कुमार (पंकज)
लुधियाना (पंजाब)
No comments:
Post a Comment