
{तुमसा नहीं कोई}
जहाँ में तुमसा नहीं कोई,
आकाश में तुम हो खोई।
रहगुजर रहा कोई बनके,
किसके खाबों में हो खोई?
होंठों पर सिर्फ नाम तेरा,
याद में सारी रात तूं रोई।
जिस्म से जिस्म टकरा गया,
फासला रहा नहीं बीच कोई।
लव रहें सदा खामोश,
धड़कन की जुबान भी सोई।
जिस कदर हैं इंतजार तेरा,
क्या रहा तुझे भी वोही?
बीता हुआ कल ना बनो,
सूर्य की पहली किरण होई।
तारीफ नहीं ये हकीकत हैं,
"पंकज" के जज्बात तोही।
तुम सांसों में ऐसे बसे,
इष्ट बने ज्यों कोई।
संदीप कुमार (पंकज)
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