दिल कि आस
दिल मे जगा कर आस प्यार की.
कोई छोड गया है राहों में.
जाते ही कोई आ गया फिर से.
इन प्यासी बाहों में.
जज्बातो का तुफ़ान रहा उफ़नता.
खिल के पिस गया दिल कि आहों में.
ज्यादा खून गिरा जिस मां का.
बचा क्या इन कि साहों में.
झरना बहे मोहब्बत का झर-झर.
बेहयाई बसे हुये हैं निगाहों में.
एतबार करें किस किस पे "पंकज".
दिल को कोई तोड गया सरे राहों में.
संदीप कुमार (पंकज)
लुधियाना
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